संघर्ष समिति ने प्राधिकरण समाप्त करने की मांग को लेकर भेजा मुख्यमंत्री को ज्ञापन

आज प्राधिकरण विरोधी सर्वदलीय संघर्ष समिति अल्मोड़ा ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित कर जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण को समाप्त किए जाने की पुरजोर मांग की। ज्ञापन के माध्यम से प्राधिकरण विरोधी सर्वदलीय संघर्ष समिति अल्मोड़ा ने कहा कि जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण बनने से पर्वतीय जनपदों में सरकार के खिलाफ तीव्र आक्रोश रहा है तथा इसके कारण होने वाली परेशानियों से निजात पाने के लिए अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर आदि स्थानों में आंदोलन होता रहा है। अल्मोड़ा में विगत 2017 से जबसे जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण बना था तभी से आंदोलन प्रारंभ हुआ है जो कि वर्तमान में कोविड बीमारी काल में स्थगित रखा गया था।परंतु इस बीच पुनः सर्वदलीय संघर्ष समिति द्वारा पहाड़ी क्षेत्रों में जिला विकास प्राधिकरण समाप्त किए जाने हेतु धरना प्रदर्शन प्रारंभ कर दिया गया है तथा पहाड़ी क्षेत्रों की जनता में जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण के प्रति दिन प्रतिदिन आक्रोश बढ़ता ही चला जा रहा है।जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण के विरोध में सभी दलों के विधायकों ने विधानसभा के पटल पर भी बार-बार इसे समाप्त करने का मुद्दा उठाया था। वर्तमान में शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत ने भी पूर्व में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को ज्ञापन देकर स्वयं जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण को समाप्त करने का आग्रह किया था। काफी समय बाद प्रदेश के दो मुख्यमंत्रियों ने जनता की मांग को देखते हुए तथा इसमें लिप्त भ्रष्टाचार के कारण जनाक्रोश को समझते हुए जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण को स्थगित करने की घोषणा की थी। पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने स्पष्ट रूप से जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण में भ्रष्टाचार की बात को स्वीकार करते हुए सार्वजनिक रूप से इसे समाप्त करने की बात कही थी, लेकिन वर्तमान में शासन द्वारा इसे समाप्त ना कर इसे स्थगित रखा गया है तथा आदेश में कहा गया है कि जहां पूर्व से प्राधिकरण बने हुए हैं वहां जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण के द्वारा ही मानचित्र स्वीकृत किए जाएंगे जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण को समाप्त नहीं करना चाहती है। ज्ञापन के माध्यम से कहा गया कि अल्मोड़ा के संदर्भ में यह तथ्य आपके समक्ष रखना चाहते हैं कि नगरपालिका अधिनियम 1916 में विभिन्न प्रावधानों के अनुसार नगर पालिका परिषद अल्मोड़ा को अपने नगर की सीमा के अंतर्गत भवन मानचित्र स्वीकृत करने का अधिकार था। जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण गठित होने के बाद से नगर पालिका परिषद अल्मोड़ा की आय पर अत्यंत प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है जबकि सरकार के निर्देश मिलते हैं कि नगर निकाय अपनी आय बढ़ाने तो स्पष्ट रूप से निकायों को कमजोर करने की साजिश है तथा 74 वे संविधान संशोधन की भावना पर कुठाराघात करना है तथा जनता के जनतांत्रिक अधिकारों का हनन करना है। उल्लेखनीय है कि अल्मोड़ा नगर कुमाऊं का सबसे प्राचीनतम नगर है जो लगभग 5 सौ साल पुराना बसा हुआ है।प्राधिकरण के नियम हर स्थान की भौगोलिक स्थिति एवं जलवायु के अनुसार लागू होते हैं।परंतु यहां की भौगोलिक एवं धरातलीय स्थिति मैदानी क्षेत्रों से एकदम भिन्न है। जिस कारण पर्वतीय क्षेत्रों में जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण को जबरदस्ती थोपा जाना पहाड़ के लोगों के साथ धोखा एवं विश्वासघात है।अतः इस संबंध में समिति ने मुख्यमंत्री से निवेदन किया है कि जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण को पहाड़ से तत्काल समाप्त किए जाने का शासनादेश निर्गत किया जाए तथा नगरी क्षेत्र में मानचित्र स्वीकृत करने का अधिकार नगर निकायों को ही दिया जाए ताकि यह सरकार द्वारा निर्दिष्ट स्टेट बिल्डिंग बायलॉज के अनुसार भवन मानचित्र स्वीकृत कर सकें। जहां इससे पालिकाओं की आय भी बढ़ेगी तथा सरकार को भी आर्थिक बोझ कम होगा।

ज्ञापन देने वालों में नगर पालिका अध्यक्ष एवं समिति के संयोजक प्रकाश चंद जोशी, पूर्व विधायक मनोज तिवारी, कांंग्रेस नगर अध्यक्ष पूरन सिंह रौतेला, उपपा के केन्द्रीय अध्यक्ष पी सी तिवारी, कांग्रेस जिला प्रवक्ता राजीव कर्नाटक, कांग्रेस जिला सचिव दीपांशु पांडे, अर्बन बैंक के चेयरमैन आनंद सिंह बगड़वाल, पीसीसी सदस्य हर्ष कनवाल, पूरन चंद्र तिवारी, प्रताप सिंह सत्याल, हेमचंद तिवारी, लक्ष्मण ऐठानी, महेश लाल वर्मा, ताराचंद जोशी, भारत रत्न पांडे, अख्तर हुसैन, चंद्रमणि भट्ट, राजू गिरी, हेम चंद्र जोशी, परितोष जोशी, आशुतोष कनवाल, देवेंद्र धोनी, आनंदी वर्मा, सुनीता पाण्डे सहित दर्जनों लोग शामिल रहे।