सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोडा में अमृत महोत्सव- 2021 के अन्तर्गत दृश्यकला संकाय एवं चित्रकला विभाग द्वारा आयोजित आनलाईन दो दिवसीय राष्ट्रीय परिचर्चा (वेबिनार) के प्रथम दिन आज दिनांकः 3 सितंबर 2021 को उद्घाटन सत्र का शुभारम्भ सरस्वती वंदना एवं राष्ट्रगान के साथ हुआ।
प्रो. एन. एस.भंडारी माननीय कुलपति सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा* ने आज के मुख्य अतिथि पद्म श्री डा. यशोधर मठपाल संस्थापक लोकसंस्कृति संग्रहालय “गीताधाम” भीमताल, मुख्य विशिष्ट अतिथि प्रो. वी.पी.एस.अरोरा पूर्व कुलपति कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल एवं कार्यक्रम मे उपस्थित आमंत्रित अतिथि वक्ता का स्वागत कर किया।
उन्होंने कहा कि हमारे बीच उपस्थित मुख्य अतिथि मठपाल जी उत्तराखंड की कला के महान संरक्षक है आपका वक्तव्य सभी के लिए अमूल्य होगा एवं मुख्य विशिष्ट अतिथि प्रो. अरोरा जी जिन्होंने दृश्यकला संकाय एवं इस परिसर के विकास और विस्तार के लिए कुलपति के रूप में रहते हुऐ सराहनीय कार्य किया है जिनके ऊर्जावान विचारों से प्रतिभागी अवश्य ही लाभान्वित होंगे। उन्होंने कहा कि दृश्यकला संकाय एवं चित्रकला विभाग सदैव क्रियाशील रहता है इससे संकाय और विभाग के विद्यार्थियों का निरंतर बौध्दिक विकास हो रहा है। कहा कि यह आयोजन स्वतंत्रता आंदोलनकारियों के भावपूर्ण स्मरण मे आयोजित किया गया है जिससे कि हम सभी उन वीरों के बलिदान को स्मरण रखें और युवा वर्ग को उनसे जोड़े यही इस अमृत महोत्सव की सार्थकता होगी।
विशिष्ट अतिथि प्रो आरोरा ने कहां कि भारत वर्ष स्वतन्त्रता के 74 वर्षों मे पुनः अपने प्राचीन गौरवशाली रूप मे विश्व पटल पर स्थापित हुआ है विभिन्न देशों से युवा भारत मे अध्ययन के लिए आ रहे है शिक्षा एवं कला मे तकनीक के प्रभाव से क्रांतिकारी विकास हुये है दृश्यकला का आज बहुत ही अधिक विकास हुआ है इस क्षेत्र मे रोजगार की अपार संभावनाएं बढ़ी है।
मुख्य अतिथि पद्म श्री डा. यशोधर मठपाल जी ने भारतीय कला के गौरवशाली अतीत पर प्रकाश डाला और कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के मध्य कलाकारों ने जन जागरण का कार्य किया है उन्होंने स्वयं महात्मा गांधी जी के साथ संघर्ष किया है उन्होंने कहा कि हम सभी को इस स्वतंत्रता की रक्षा और सम्मान करना चाहिए उन्होंने कार्यक्रम के संयोजन की प्रशंसा की ।
कार्यक्रम संयोजक प्रो. सोनू द्विवेदी ‘शिवानी’ दृश्यकला संकायाध्यक्ष एवं चित्रकला विभागाध्यक्ष ने स्वंतत्रता आंदोलन मे सक्रिय कलाकारों के योगदान पर प्रकाश डाला एवं दो दिवसीय कार्यक्रम की रूपरेखा एवं उद्देश्य को सभी के समक्ष रखा उन्होंने कहा कि कार्यक्रम मे विषयगत बिन्दुओं पर प्राप्त विचारो का संकलन कर उसकी ‘ई’ स्मारिका का प्रकाशन भी किया जायेगा जिससे अधिक से अधिक लोग इससे जुड़ सके।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. शेखर चन्द्र जोशी अधिष्ठाता शैक्षिक सो.सिं. जी. विं.विं. अल्मोड़ा ने की एवं उन्होंने उत्तराखंड के स्वंतत्रता सेनानियों यहां के आंदोलन स्थल एवं कलाकारों के योगदान पर विस्तार से बताया।
आमंत्रित अतिथि वक्ता प्रो. हिम चटर्जी अध्यक्ष दृश्यकला विभाग, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला (हिमाचल प्रदेश) ने आजादी के 75 वर्षों के मध्य भारतीय कला एवं कलाकारों – देवी प्रसाद राय चौधरी , असित कुमार हाल्दार, अब्दुल रहमान चुगताई, एन. एस बेन्द्रे, आदि के स्वंतत्रता आंदोलन विषय पर बनाये चित्रो के बारे मे एवं 75 वर्षों में भारतीय कला के विभिन्न कालखंडो मे हुऐ विकास और योगदान को समझाया।
प्रो. भीम मल्होत्रा अध्यक्ष ललित कला अकादमी चंडीगढ़ ने अकादमी मे आजादी के विषय पर आयोजित 75 कलाकारों के कार्यशाला मे बने स्वंतत्रता के रंगो से युक्त चित्रो का प्रर्दशन समीक्षा सहित प्रस्तुत किया तथा अकादमी में युवा कलाकारों के लिऐ होने वाले कार्यक्रमों को बताया।
प्रो. ऊषा जोशी विभागाध्यक्ष ललित कला एवं संगीत विभाग दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर उत्तर प्रदेश ने संगीत के विधाओं से जुड़े विद्वानों के योगदान के बारे मे बताया और सरकार द्वारा कला -संस्कृति के संरक्षण हेतु किये जा रहे प्रयासों से सभी को अवगत कराया।
डा. गुरुचरन सिंह डिप्टी डायरेक्टर यूथ एंड कल्चर अफेयर्स फाईन आर्ट कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र (हरियाणा) ने आजादी के 75 वर्षों मे ललित कला और उनसे जुड़े कलाकारो की समस्या और सार्थक समाधान हेतु कला अकादमी को आगे आने तथा इस विषय के पाठ्यक्रम को और भी अधिक रोजगारपरक बनाने के लिए प्रयास करने की बात कहीं ।
डा. संजीव आर्य वरिष्ठ प्रवक्ता चित्रकला विभाग ने सभी अतिथियों सहित आमंत्रित वक्ता एवं देश के विभिन्न प्रान्तों से जुड़े प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
तकनीकी सहयोग श्री कौशल कुमार, रमेश मौर्य, चन्दन आर्य (अतिथि व्यख्याता) तथा सन्तोष मेर , पूरन मेहता, जीवन चन्द्र जोशी (कार्यालय सहायक) एवं योगेश सिंह डसीला ने किया।
कार्यक्रम में डा. रीना सिंह, डा. वंदना जोशी, भारत भंडारी, डा. ललित जोशी, विनीत बिष्ट, रविशंकर गुसांई, स्वाति पपनै, पवन यादव, सहित 100 से अधिक प्रतिभागी विभिन्न राज्यो, विश्वविद्यालयों से एवं दृश्यकला तथा चित्रकला विषय के छात्र/छात्राऐं जुड़े रहे।