शिक्षक दिवस पर इंद्रा गोस्वामी की स्वरचित कविता

 जो बनाए हमें इंसान

और दे सही-गलत की पहचान

देश के उन निर्माताओं को

हम करते हैं शत-शत प्रणाम

बुद्धिमान को बुद्धि देते

औरअज्ञानी को ज्ञान

शिक्षा से ही बन सकता है मेरा देश महान

माॅ – बाप की मूरत है गुरु,इस कलयुग में भगवान की सूरत है गुरु 

दिया ज्ञान का भण्डार मुझे

किया भविष्य के लिए तैयार मुझे

जो किया आपने उस उपकार के लिए

नहीं शब्द मेरे पास आभार के लिए

सभी गुरुजनों को मेरा शत शत नमन