चित्रकला विभाग एवं दृश्यकला संकाय, सोबन सिंह जीना परिसर अल्मोड़ा में दो दिवसीय ऑनलाइन राष्ट्रीय परिचर्चा आजादी के 75 वर्षों मे ललित कलाओं की भूमिका का हुआ समापन

दृश्यकला संकाय एवं चित्रकला विभाग सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोडा में अमृत महोत्सव- 2021 के अवसर पर आयोजित आनलाईन दो दिवसीय राष्ट्रीय परिचर्चा (वेबिनार) के दूसरे दिन का शुभारम्भ मामृभूमि वंदना “वंदेमातरम” एवं राष्ट्रगान के साथ प्रो. एन. एस.भंडारी माननीय कुलपति सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा के निर्देशन मे हुआ। अतिथियों का स्वागत प्रो. शेखर चन्द्र जोशी अधिष्ठाता शैक्षिक ने किया । 

कार्यक्रम संयोजक प्रो. सोनू द्विवेदी शिवानी संकायाध्यक्ष दृश्यकला संकाय एवं विभागाध्यक्ष चित्रकला ने सत्र की शुरुआत कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए साहित्यकार जगदम्बा प्रसाद मिश्र की काव्य पंक्तियों “शहीदो के मजारो पर लगेंगे हर वर्ष मेले / वतन पे मरने वालो का यही बाकी निशां होगाा” से की और कहाँ की यह राष्ट्रीय परिचर्चा उन हजारों अनाम शहीदो की स्मृति में सादर श्रध्दांजलि है जिनके बलिदान से हम आजादी का यह महोत्सव मना रहे है।  

आज के सत्र की अध्यक्षता प्रो. पुष्पा अवस्थी संकायाध्यक्ष कला संकाय ने अपने ओजस्वी वक्तव्य से किया उन्होंने “अमृत” शब्द का भावार्थ स्पष्ट करते हुऐ कहा कि अमृत जिसका मरण न हो सके इसी से स्वतंत्रता का 75वें वर्ष मे प्रवेश भारत की स्वतंत्रता का अमृत वर्ष है जिसमे हमे अपने वीरसपूतो को समरण रखना और भारत की सवतंत्रता को अक्षुण रखना होगा। उन्होंने कहा कि साहित्य, संगीत, कला से विहीन मनुष्य पशु के समान होता है साहित्य, संगीत, कला हमें विचारवान मनुष्य बनाती है अतः इससे सभी को जुड़ना और समझना चाहिए उन्होंने कहा कि आज यहां पर विद्वानों के विचारों को सुनकर मुझे कला के संदर्भ में बहुत कुछ जानने और समझने का अवसर मिला है तो प्रतिभागी भी इनके विचारो से काफी कुछ सीखेंगे।    

आमंत्रित अतिथि वक्ता प्रो. रीता प्रताप, पूर्व अध्यक्ष चित्रकला विभाग विश्वविद्यालय जयपुर, (राजस्थान) ने आजादी के बाद राजस्थान की चित्रकला मे महिला कलाकारों की कार्य, स्थिति एवं 75 वर्षों मे स्थापित ललित कला अकादमी के विस्तार, कार्य, प्रभाव को स्पष्ट किया उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता पश्चात राजस्थान के विद्यालयों मे कला को विषय के रूप मे स्थान मिला जिससे इसका तेजी से विस्तार संभव हो सका। 

प्रो. हनुमान कांबली, पूर्व अध्यक्ष चित्रकला विभाग, कालेज आफ आर्ट, पणजी, गोवा ने आजादी के 75 वर्षों मे कला,सौन्दर्य, दर्शन के प्रभाव को विवेचित किया और कहा कि आज कला का पाठ्यक्रम बदलना अत्यंत आवश्यक है कला के मूल्यांकन हेतु इस क्षेत्र मे अच्छे समीक्षक, लेखक, दार्शनिक को स्थान मिले तथा सो.सिं जी. विश्वविद्यालय मे एक आर्ट म्यूजियम स्थापित करने की बात रखी जिसमे कि वहाँ की लोककला, शिल्पकला, टाराईबल आर्ट को बाहर से आये शिक्षक , विद्यार्थियों देख और समझ सकें और उनका संरक्षण और प्रसार हो। 

प्रो. अम्बालिका सूद विभागाध्यक्ष एस.एस.एस. फाईन आर्ट पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला (पंजाब) ने कहा कि आज के नई शिक्षा नीति के अनुसार कला शिक्षा इन्टरडिस्पलनरी होना चाहिए जिससे कला का व्यापक विस्तार हो सके और कलाकार समाज के मार्ग दर्शन से युक्त भावपूर्ण चित्र बनने मे सक्षम हो। 

प्रो. सुषमा सिंह पूर्व संकायाध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष फाईन आर्ट महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक (हरियाणा) ने महिला कलाकारों के इन 75 वर्षों मे चिंतन शैली पर चर्चा की और अंजली इला मेनन, अपर्णा कौर के एकाकी भाव से युक्त सुफी चित्रो पर प्रकाश डाला। 

डा. चन्द्र सिंह चौहान क्षेत्रीय प्रभारी पुरातत्व इकाई अल्मोड़ा ने कूली बेगार आंदोलन के बारे मे बताया एवं उत्तराखंड की लोककलाऔर शिल्पकला के इन 75 वर्षों मे परिवर्तन और उपयोगिता विषय पर बात रखी।

सूनील दर्जी असि. प्रोफेसर ग्राफिक आर्ट, दृश्यकला संकाय महाराजा साया जी राव विश्वविद्यालय बड़ौदा (गुजरात) ने स्वंतत्रता आंदोलन के मध्य स्थापित महाराजा साया जी राव विश्वविद्यालय बड़ौदा गुजरात के 75 वर्षों में प्रिन्टमेकिंग चित्रण कला एवं राजारवि वर्मा के ग्राफिक्स चित्रो सहित कृष्णा रेड्डी, अनुपम सूद आदि समकालीन छापाचित्रकारो तथा उत्तराखंड हल्द्वानी में 2020 मे बने प्रथम प्रिन्टमेकिंग स्टूडियों के बारे मे बताया। 

कार्यक्रम का संचालन प्रो. सोनू द्विवेदी शिवानी संकायाध्यक्ष दृश्यकला संकाय एवं विभागाध्क्ष चित्रकला ने किया और बताया कि कार्यक्रम की ‘ई’ स्मारिका का प्रकाशन किया जायेगा।

अंत मे डा. संजीव आर्य वरिष्ठ प्रवक्ता चित्रकला विभाग ने अतिथियों का आभार करते हुए कहा कि आज 75 वर्षो मे भारत की कला समर्थ होकर विश्वमंच पर स्थापित हुई है कला विद्यार्थियों के लिए सुझाव है कि वह वरिष्ठ कलाकारों को सुने उनकी शैली तकनीक समझे तब कहीं श्रेष्ठ कार्य कर सकेंगे।  

धन्यवाद ज्ञापन रमेश मौर्य, कौशल कुमार चन्दन आर्य अतिथि प्रवक्ता ने संयुक्त रूप से किया तकनीकी सहयोग श्री संतोष सिंह मेर, पूरन मेहता और जीवनचन्द्र जोशी ने किया।

आज प्रो. शालिमा तब्बसुम अल्मोड़ा से, डा. रीना सिंह नैनीताल से, डा. बिन्दु अवस्थी आगरा से, डा प्रीति अग्रवाल, पवन यादव वाराणसी से विनीत बिष्ट, योगेश सिंह डासीला, चेतन जोशी, स्वाति पपनै, सुनीता तिवारी, नवीन चन्द्र आर्य, संजय राजेश्वरी सहित बड़ी संख्या मे विभिन्न राज्यों के प्रतिभागी एवं संकाय विभाग के विद्यार्थी उपस्थित रहे। 

सभी वक्ता और प्रतिभागियों ने इस कार्यक्रम के मंचन संचालन और संयोजन की सराहना की है।