राजकीय कर्मचारियों की राष्ट्रीय अंशदायी पेंशन स्कीम को समाप्त कर पुरानी पेंशन स्कीम लागू की जाय – पूर्व उपाध्यक्ष NRHM बिट्टू कर्नाटक 

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता/पूर्व उपाध्यक्ष बिट्टू कर्नाटक ने आज जिलाधिकारी अल्मोडा के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड को एक ज्ञापन प्रेषित कर उनके संज्ञान में लाया गया कि जब केन्द्र में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बाजपेई जी की सरकार थी तो उनके द्वारा एक अपै्रल 2004 के बाद भर्ती होने वाले सरकारी कर्मचारियों की पेंशन बन्द करने का निर्णय लिया गया। जिसका शासनादेश अक्टूबर 2005 हुआ और अक्टूबर 2005 से नयी भर्ती के तहत नियुक्त होने वाले कर्मचारियों के पेंशन अधिकार को समाप्त कर दिया गया। इस प्रकार गलत निर्णय ने करोडों कर्मचारियों के बुढापे का सहारा पेंशन समाप्त कर बुढापे की लाठी उनसे छीन ली गयी साथ ही निजी कम्पनियों को पेंशन न देने का फैसला भी ले लिया गया। उन्होंने ने कहा कि एक कर्मचारी 60 वर्ष तक जनता व सरकार की सेवा करता है तथा सेवानिवृत्त होने के बाद उक्त शासनादेश के तहत बिना पेंशन प्राप्त किये अपना तथा परिवार का भरण पोषण बडी कठिनाई में करता है। 

कर्नाटक ने आगे कहा कि शासकीय कर्मचारियों की पेंशन को समाप्त कर उसके स्थान पर केन्द्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय अंशदायी पेंशन स्कीम लागू कर दी गयी । जिस कारण कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान उठाना पड रहा है। राष्ट्रीय अंशदायीं पेंशन स्कीम के अन्तर्गत कर्मचारी अपनी धनराशि आवश्यकता पडने पर ससमय निकाल नहीं सकता। जबकि पूर्व पेंशन प्रणाली में सेवानिवृत्त कर्मचारी को अन्तिम परिलब्धि का पचास प्रतिशत धनराशि कोषागार या अपने विभाग से प्रतिमाह पेंशन के रूप में भरण- पोषण हेतु प्राप्त होती है साथ ही समय-समय पर महंगाई भत्ते में वृद्वि होने पर उसका लाभ भी दिया जाता है। अंशदायी पेंशन योजना के अन्तर्गत सेवानिवृत्त कर्मचारी इस लाभ से वंचित हैं जिस कारण उनमें रोष व्याप्त है तथा वे लम्बे से आन्दोलित है। जिसका प्रतिकूल प्रभाव सरकारी कार्य में पडता है साथ ही जनता को परेशानियों का सामना करना पडता है। उन्होंने कहा कि जब केन्द्र/राज्य सरकार में माननीय सांसद/विधायक आदि मात्र पांच वर्ष अपनी सेवायें प्रदान करते हैं तदुपरान्त आजीवन पेंशन के लिये अधिकृत होकर अच्छी खासी पेंशन पाते हैं तब 60 वर्ष सेवा करने वाले शासकीय कर्मचारियों के साथ यह अन्यायपूर्ण स्थित क्यों। 

कर्नाटक ने माननीय मुख्यमंत्री जी से मांग की कि राजकीय कर्मचारियों की राष्ट्रीय अंशदायी पेंशन स्कीम को समाप्त कर पुरानी पेंशन स्कीम यथावत् लागू किये जाने हेतु तत्काल निर्णय लें ताकि कर्मचारियों का मनोबल बना रहे और उन्हें आन्दोलन/धरना-प्रदर्शन जैसी कार्यवाही के लिये बाघ्य न होना पडे। उन्होंने यह भी कहा कि यह निर्णय उत्तराखण्ड राज्य में एक मिसाल होगा और अन्य राज्य भी इस निर्णय से प्रेरित होकर कर्मचारी हित में कार्य कर सकेंगे।