“स्वाधीनता के 75 वर्ष और भारतीय संविधान” विषय पर पोस्टर प्रर्दशनी और व्याख्यान माला का आयोजन एसएसजे परिसर अल्मोड़ा के चित्रकला विभाग में हुआ

दृश्यकला संकाय एवं चित्रकला विभाग सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय परिसर अल्मोड़ा मे संविधान दिवस के अवसर पर भारतीय संविधान के प्रति युवा वर्ग को जागरूक करने के लिए स्वाधीनता के 75 वर्ष और भारतीय संविधान विषय पर पोस्टर प्रर्दशनी और व्याख्यान माला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ विशिष्ट अतिथि के रूप मे प्रोफेसर प्रवीण बिष्ट परिसर प्रशासन, विषय विशेषज्ञ अतिथि वक्ता प्रोफेसर जे.एस.बिष्ट विभागाध्यक्ष विधि विभाग विधि संकाय, अधिष्ठाता शैक्षिक प्रोफेसर शेखर चन्द्र जोशी , कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर सोनू द्विवेदी शिवानी (संकायाध्यक्ष दृश्यकला संकाय एवं विभागाध्यक्ष चित्रकला विभाग) एवं वरिष्ठ प्रवक्ता डा0 संजीव आर्य ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया।

विशिष्ट अतिथि के रूप मे प्रोफेसर प्रवीण बिष्ट परिसर प्रशासन सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय परिसर अल्मोड़ा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि सभी विद्यार्थियों को अपने संविधान की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है जिससे वह अपने अधिकारों के साथ राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य के लिऐ भी जागरूक होंगे उन्होंने विद्यार्थियों द्वारा इस विषय पर बनाये चित्रों की और कार्यक्रम संयोंजिका सहित सभी शिक्षकों के सार्थक प्रयास की सराहना की।

अधिष्ठाता शैक्षिक प्रोफेसर शेखर चन्द्र जोशी ने भारतीय संविधान मे प्रयुक्त कला और इसके निर्माण में कलाकारों के योगदान पर चर्चा की और युवावर्ग को संविधान की बारिकियां समझने की प्रेरणा दी। 

विषय विशेषज्ञ अतिथि वक्ता प्रोफेसर जे.एस.बिष्ट विभागाध्यक्ष विधि विभाग विधि संकाय (सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा) ने संविधान के विविध पक्षों पर विस्तार से प्रकाश डाला उन्होंने बताया कि प्रत्येक जिम्मेदार नागरिक का यह प्रथम कर्तव्य है कि वह अपने राष्ट्र के संविधान को समझे और उसका सम्मान करें तथा उसके नियमो का पालन सभी की सुरक्षा में करें और कहा कि भारत का संविधान एक लिखित दस्तावेज है जो प्रत्येक नागरिक को सुरक्षा, विकास और समता के साथ उसे सम्मान पूर्ण जीवन जीने का अधिकार देता है प्रत्येक विषय के युवावर्ग को भारतीय संविधान के गरिमामय स्वरूप की जानकारी हो इसलिऐ इस तरह के जागरूकता पूर्ण कार्यक्रम का आयोजन महत्वपूर्ण है प्रर्दशनी कक्ष मे इस विषय पर लगे चित्र यहां के कला विद्यार्थियों की चिंतनशील बौद्धिक श्रेष्ठता का सुन्दर प्रतीक है। 

कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर सोनू द्विवेदी शिवानी (संकायाध्यक्ष दृश्यकला संकाय एवं विभागाध्यक्ष चित्रकला विभाग) ने अतिथियों का स्वागत कर कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की उन्होंने कहा कि आज के युवावर्ग मे अधिकार और कर्तव्य दोनों का उपयोग करने के लिऐ संविधान को समझना और उसके प्रति निष्ठावान बनना होगा संविधान के लिखित दस्तावेज के निर्माण में भारतीय कलाकारों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है चित्रकला एक ऐसी विधा है जो किसी भी विषय को समझाने का महत्वपूर्ण माध्यम होता है संकाय एवं विभाग के विद्यार्थियों को संविधान में उल्लेखित मौलिक अधिकार और कर्तव्यों के विभिन्न पक्ष पर चित्र बनाने को कहा गया था प्रर्दशनी कक्ष में लगे चित्र युवा कलाकारों के बौध्दिक क्षमता गंभीर अध्ययन और कलात्मक संयोजन का जीवंत उदाहरण है ऊर्जावान युवावर्ग क्षमता को निरंतर सही दिशा में विचारशील और जागरूक करना हम शिक्षकों का प्रथम कर्तव्य है। अतिथियों का स्वागत संकाय और विभाग के विद्यार्थियों ने स्वयं के बनाए पुष्प गुच्छ भेंट कर किया।

वरिष्ठ प्रवक्ता डा0 संजीव आर्य ने उपस्थित अतिथियों का धन्यवाद किया और डाक्टर भीमराव अम्बेडकर के संविधान निर्माण मे योगदान पर चर्चा की और कहा कि यह आयोजन एक सार्थक पहल है प्रत्येक वर्ष हम सभी पूर्ण निष्ठा से संविधान दिवस मनायेंगे।

अंत मे प्रश्नमंच के तहत् युवा प्रतिभागियों के प्रश्नों का मुख्य वक्ता ने उत्तर दिया। अतिथि व्याख्याता कौशल कुमार, चन्दन आर्य, रमेश मौर्य और कार्यालय सहयोगी संतोष सिंह मेर, पूरन मेहता, जीवन चन्द्र जोशी ने उपस्थित रहकर विषय को समझा और कार्यक्रम मे सहयोग किया। इस अवसर पर चित्रकला विभाग और दृश्यकला संकाय के विद्यार्थी पंकज जयसवाल, महेन्द्र आर्य, नन्दिता, शान, नवीन आर्य, अनन्या, हिमांशु आर्य सहित सौ से अधिक विद्यार्थी उपस्थित रहें।