मेक इन इंडिया पर पढ़े अल्मोड़ा के युवा अभिषेक नेगी का गहन आर्थिक विश्लेषण और उसकी सफलता को एक नया आयाम देने के लिए ऐसे ताबड़तोड़ स्पष्ट नवाचार जो हु-ब-हु एक अर्थशास्त्री की सटीक गणित में पूरी लाजिक और प्रेक्टिकल दृष्टिकोण के साथ युवाओं के नाम इस लेख में संदर्भित है……..

मेक इन इंडिया; कौशल भारत की नींव पर

*महावीर हो,बुद्ध हो तुम*
*तुम्हीं विक्रमादित्य के विक्रम चाणक्य का बुद्धि विवेक हो*,
*सिंधु सभ्यता सी भव्यता हो पंचतत्व के ज्ञाता हो*,
*उठो विवेकानंद तुम ही तो*
*नव भारत के निर्माता हो*!
(देश के युवाओं को समर्पित)
हमारे देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ शुरू किया…जो केवल उस रास्ते का रोडमैप तैंयार ही नहीं करता बल्कि उस मंजिल के करीब भी ले जाता है जिसमें भारत का भविष्य विनिर्माण कार्यो की विपुलता के साथ नई उंचाइयों, नए कीर्तिमानों और नए शिखरो को छूएंगा!
किंतु मेक इन इंडिया जो एक लायन स्टेप था देश में विनिर्माण कार्यो को बढावा देने के लिए उसके बहुत अधिक सकारात्मक परिणाम हमारे सामने नहीं आए , लेकिन फिर भी हमें आज जरूरत है इसे एक नए सिरे से मजबूती प्रदान करने की जिसे मजबूती प्रदान करेगा हम भारत के 65℅ कामकाजी वर्ग का उच्च कौशल !

जब सरकार ने प्रधानमंत्री* *कौशल विकास योजना से देश के कोने कोने में 2 करोड़ से भी अधिक युवाओ को नि;शुल्क कौशल प्रशिक्षण प्रदान कराया ,2300 से भी अधिक प्रधानमंत्री कौशल केंद्र स्थापित किए , 12,195 करोड़ रु की PLI स्कीम*
*प्रभावी बनाया, जब ‘कुशल भारत’ के तहत आईटीआई इकोसिस्‍टम को समाहित किया,जिनके प्रतिफल महोदय जब अखबार की सुर्खियों पर रहने वाले विज्ञापनों..*कि हमारा दामाद ( चिकित्सक ) डाक्टर हो, हो,इंजीनियर(अभियंता) हो,वकील हो से आज के अखबारों में दिखने वाले विज्ञापन कि हमारा दामाद मास्टरसेफ हो,मास्टरप्लंबर हो,बहू मास्टरब्यूटिशियन हो जैसे श्रम को नहीं कौशल को महत्व देने वाले विज्ञापनों में परिवर्तित होना प्रारम्भ हो गये तभी से कुशल भारत की नींव पर मेक इन इंडिया के तहत आत्मनिर्भर भारत की इमारत खड़ी होती चली गयी!

देखिए यह सोचने की बात है कि आज विश्व इकोफ्रेंडली एनवायरनमेंट,गलोबल वार्मिंग पर अगर केंद्रित है तो बडी़ सीधी सी बात है कि भविष्य में इससे सोलर एनर्जी के लिए क्षेत्र खुल जाएगे और हमें जरूरत हे कि अकेडमिक वर्ड आने वाले 20 वर्षों में इसी तरह के विभिन्न उद्योगों की संभावनाए खोजे जिनके अनुरूप हम अभी से युवा को कौशल शिक्षा प्रदान करना शुरू कर ले, मैंने अपने गहन अध्ययन और शोध से इस बात को बारीकि से समझा है कि हमारे भारत मे कितने रेलवे स्टेशन है ?

8338 लेकिन इनमें से 5000 से भी अधिक रेलवे स्टेशन ऐसे है जहाँ पर रेलगाड़ी रूकती ही नहीं है,और इन रेलवों स्टेशनों के पास अपनी बिल्डिंगहैं ,पानी है, बिजली की सतत आपूर्ति है लेकिन एक और महत्वपूर्ण चीज है वो है 43000 किमी का आप्टिकल फाइबर नेटवर्क,और दोस्तों बड़े कमाल की बात है कि ईन स्टेशनों पटरियों के अगल बगल हजारों गाँव बस्तियों बसी हुई हैं जिनके लाखो करोड़ों कामकाजी वर्ग के पास स्कुली शिक्षा भले ही नहीं हो लेकिन उच्च कौशल प्रतिभा बहुत अधिक है,तो ऐसे में यही कहना चाहूंगा चलिए इन रेलवे स्टेशनों की इन सुविधाओं,आप्टिकल फाइबर नेटवर्क के माध्यम से हम इस कामकाजी वर्ग को बड़े- बड़े उद्योगपतियों वो भी न केवल भारत बल्कि समूचे विश्व के जो अपने उद्योगों के लिए जिस तरीके का ट्रेनड वर्कफोर्स चाहते हैं ,हम इन कामाकाजी वर्ग के समस्त लोगों को वर्चुअल तरीके से सीधे इन उद्योगपतियों से जोड़ते हैं जिससे ये उद्योगपति अपने उद्योग के अनुरूप इन्हें वर्चुअल माध्यम से लोकल में ही आसानी से ट्रेनड कर लेंगे!
इससे जहाँ एक ओर हमारे उद्योगपतियों की डिमांड पूरी हो जाएगी, वहीं भारत में विनिर्माण कार्यों में निवेश बढ जाएगा जिससे सीधे सीधे मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ बढेगी,ग्रोथ बढेगी तो रोजगार मिलेगा,रोजगार होगा तो गरीब वल्क भी मिडिल क्लास की ओर बढ़ता चला जाएगा, इससे उसकी पर्चेजिंग पावर बढेगी, पर्चेजिंग पावर बढेगी, डिमांड बढेगी ,डिमांड बढेगी, एक बार फिर मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ बढेगी और रोजगार के अवसर सृजित होंगे , सबके पास रोजगार होगा तो लोगो की पर्चैजिंग पावर और बढेगी ,उनकी मांगे बढेंगी,जो विनिर्माण कार्यो को और अधिक प्रोत्साहित करेगी और इससे धीरे धीरे बढता जाएगा भारत का बाजार एवं होगी वेल डेवलपड इकानमी जनरेट, जिसके बाद दुनिया को
“भारत का पता बताने के लिए हमें नहीं निकलना पड़ेगा बल्कि विश्व के हर गली मुहल्ले में वास्कोडिगामा खुद ब खुद पैदा होंगे जो अपने आप ही हिंदूस्तान खोजते खोजते यहाँ चले आएगें…”

मेरे मा-बाबा खेती बाड़ी करते है तो वो जब कभी किसी आम के छोटे से पौधे में फल के लिये बौर आया देखते है तो उसे तोड़ देते हैं क्योंकि वो अनुभव से बताते है कि जिन पौधों में जल्दी फल आ जाते हैं वो कभी भरे फुले पेड़ नहीं बन पाते इस थीम को हम यहाँ भी प्रयोग कर सकते हैं!
युवाओ को अपनी स्किल में वैल्यू ऐडिसन करके रिस्किल करने के लिए उन्हें डायनमिक वैज्ञानिक स्कील ट्रेनिंग प्रदान करते हैं,भले ही रिस्किलिंग में थोड़ा टाइम लग जाए लेकिन एक बार रिस्किलिंग हो जाये तो राष्ट्र की अपस्किलिंग भी उतनी ही शीघ्रता से होगी और ज्यों ज्यों ये सब सही मायनों में कार्यरूप में परिणत हो रहा होगा त्यों त्यों भारत के गाँव बस्ती शहर कोने कोने से युवा अपने पंजो पर खड़े हो रहे होंगे और भारत के पास बढ रहें होंगे ब्रिलिय़ंट यूथ इंडिविजुअल जो अपने कौशल के दायरे में आगे चलकर नई नई कंपनी खोल सकने में समर्थ होंगे, जिनके इनोवेटिव आइडिया से उन कंपनियों में ऐसा इकोसिस्टम डेवलप होगा कि वहाँ और ब्रिलिय़ंट इंडिविजुअलस तैंयार होंगे जो आगे चलकर और कंपनियाँ खोलेंगे उनमें फिर ब्रिलिय़ंट इंडिविजुअलस तैयार होंगे जो आगे फिर नई कंपनियां खोलने में समर्थ होंगे और इस प्रकार मान्यवर ये एक अनावरत् अबाध घटनाक्रम होगा जो चलता रहेगा और हम उस समय में होंगे जब अन्य विकसित देशों की तरह हमारे पास स्वदेशी कंपनिया होंगी और सभी वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन हम अपने ही देश में कर रहे होंगे!

दोस्तों ये सारा चक्र भगवान श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र सा है और इसके साथ ही अगर हमारी डेमोक्रेसी+डेमोग्राफी डिवीजन+ डिमांड इन तीनो का भी तालमेल के साथ समन्वय हो जाए तो हमारे बाजार में उत्पादक और उपभोक्ता के बीच का बहुत बड़ा अंतर भी खत्म हो जाएगा ..

इससे अमीर की चिंता की घर में चार गाड़ियां है अब चलाएगा कौन कौन? और गरीब की चिंता की चार ही रोटियां है अब खाएगा कौन कौन? दोनों वर्गों की चिंता समाप्त हो जाएंगी..*

*असम,मिजोरम ,नागालैंड का करके समन्वय*
*क्राफ्टिंग ड्राफ्टिंग बढायेंगे*,

*बिहार ,उड़ीसा छत्तीसगढ़ को भी*
*दर्शन योग्य बनाएंगे*,

*गोवा कर्नाटक तमिलनाडु में* करके विनर्माण
अपनी कोस्टल मनी बढायेंगे*

*उत्तराखंड की छटा निराली*
*लघु कुटीर उद्योगों की गंगा बहायेंगे*

*कश्मीर से कन्याकुमारी गुजरात, अरूणाचल लगाकर उद्योग
मेक इन इंडिया मेक फार वल्ड बनाएंगे*

*योगः कर्मसु कौशलम्” श्रीमद्भगवद्गीता की इस कालजयी पावन अवधारणा के साथ अपनी कलम यहीं पर रोकता हूँ कि कौशल नित नव हममें होगा, देश बढ़ेगा हम बढ़ेंगे। आत्मनिर्भर होगा भारत, निज स्वप्नों को स्वयं गढेंगे।।*
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