काफी पसंद की जा रही हैं गरिमा और माही की हस्तनिर्मित राखियां

आप सभी को पता है कि राखी का त्यौहार आने वाला है और सभी बहनें अपने भाईयों के लिए सुंदर सुंदर राखियाँ खरीदती हैं। तो आइये आज हम आपको मिलाते हैं हल्द्वानी की दो बहनें गरिमा अधिकारी हरड़िया और उमा (माही) अधिकारी से, जिन्होंने ऐपण कला से खुद की पहचान बना ली है। इसके लिए उन्होंने किसी से कोई ट्रेनिंग नहीं ली।

इसके साथ ही आर्ट और क्राफ्ट के साथ-साथ पिछले 2 साल से यह दोनों बहनें हस्तनिर्मित राखियां भी तैयार कर रही हैं और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए देश के कोने कोने से उन्हें आर्डर भी आते हैं।

पहाड़ एक़्सप्रेस से हुई वार्ता में गरिमा ने बताया कि 2016 में उन्होंने इस काम की शुरुआत की थी तब वह बस शौकिया तौर पर क्राफ्ट बनाती थी फिर 2018 में उनकी बहन भी उनके साथ शामिल हो गई और दोनों ऑनलाइन शोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से अपने काम को लोगों के सामने लाए। फिर 2019 में गरिमा की शादी हो गई लेकिन हल्द्वानी में ही ससुराल होने की वजह से और दोनों फैमिली का काफी सपोर्ट होने की वजह से उनको अपने काम को करने में कभी कोई भी दिक्कत नहीं हुई जिस चीज के लिए वह भगवान की शुक्रगुजार हैं।

गरिमा बताती हैं कि इस बार उनका राखी के ऑर्डर्स का एक्सपीरियंस काफी अच्छा रहा, 1 दिन के 20 से 30 के बीच ऑर्डर्स डिलीवर करने पड़ते थे। वह आगे बताती हैं कि इस बार ज्यादातर ऑर्डर्स हैदराबाद, आंध्रप्रदेश, चेन्नई, सिक्किम, बंगलोर से थे और जो राखी सबसे ज्यादा पसंद की गई वह फोटो रखी थी बहुत ज्यादा ऑर्डर्स होने की वजह से हमने फोटो राखी के कई ऑर्डर लेने से इनकार भी किया जिससे काफी बुरा भी लगा लेकिन समय के अभाव के कारण हमें ऐसा करना पड़ा। गरिमा बताती हैं कि उनकी बहन राखी के सारे ऑर्डर ज्यादातर अकेले ही पूरा करती हैं और आर्डर डिलीवर करने में उनकी मां भी उनकी काफी मदद करती हैं, जिस वजह से उनको अपने ऑफिस के काम को करने और स्वरोजगार को चलाने में काफी मदद मिलती है। उनका कहना है कि हम अगले साल और अच्छे तरीके से तैयार रहेंगे ताकि ज्यादा से ज्यादा ऑर्डर्स पूरे कर सकें।

हमारे काम में उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति, लोक कला के साथ साथ और भी बहुत कुछ है। जैसे पुरानी चीजों को कैसे उपयोग करने के लिए तैयार कर सकते हैं, अखबार से कैसे घर सजाने की चीजें बना सकते हैं, पुराने कपड़ों को कैसे पेंट करके आकर्षक और नया बना सकते हैं। गिफ्ट्स बॉक्सेस, पेंसिल स्केचिंग, पेंटिंग्स, डिजिटल आर्ट, पहाड़ी बुकमार्क्स, बोतल आर्ट, कॉमिक बुक आर्ट, मंडला (mandala) आर्ट, आदि। इससे न केवल हम अपनी संस्कृति से जुड़ेंगे बल्कि अपनी देश की प्रतिभाओ को बढ़ावा भी देगें। 

ऐसी प्रतिभाओं को हमेशा आगे बढ़ने का मौका देना चाहिए अगर आप लोग भी इनसे जुड़ना चाहते हैं व इनकी बनाई गई चीजों को खरीदना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक के जरिये आप लोग इनसे जुड़ सकते हैं।

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