डॉ. पूरन जोशी ने बीज वक्ता के रूप में छात्र छात्राओं के मध्य दिया व्याख्यान

कल 5 जून को पर्यावरण दिवस के मौके पर अज़ीम प्रेमजी फ़ाउनडेशन अल्मोड़ा में शिक्षकों और छात्र-छात्राओं के साथ एक संवाद हुआ। संवाद में वक्त डॉ पूरन जोशी, भूगोल विभाग एस एस जे विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा, ने कहा पृथ्वी का अपना भूवैज्ञानिक इतिहास रहा है। जिससे पता चलता है कि कैसे मनुष्य और अन्य जीव – वनस्पतियों का विकास साथ-साथ हुआ। फिर ऐसा क्या हुआ कि मानव ने उत्तरोत्तर एक सभ्यता विकसित कर ली। ये कमाल था मानव का अन्य जीवों से ज्यादा मेधावी होना। उसकी संज्ञानात्मक क्षमता का बढ़ना। इसी संज्ञानात्मक क्रांति ने हमें इस युग तक पहुंचाया। कृषि युग का आना और फिर औद्योगिक युग में प्रवेश। औद्योगिक क्रांति ने जनसंख्या की वृद्धि में अभूतपूर्व योगदान दिया। यहीं से शुरू हुआ धरती के संसाधनों का सही गलत सोचे बिना अनवरत विदोहन। इसी का परिणाम आज जलवायु परिवर्तन जैसी बात हमारे सामने आई है। जिसके कारण तापवृद्धि, समुद्र के जल स्तर का बढ़ना, मौसम सम्बन्धी आपदायें सामने आ रही हैं और इनकी बार-बार आवृत्ति हो रही है। इसके बाद उत्तराखंड की जैव विविधता पर बात की और इस पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझा कि किस प्रकार आज हिमनद पीछे खिसक रहे हैं और वृक्ष रेखा और ऊँचाई तक जा रही है। कुछ बातचीत इस विषय पर भी हुई कि शिक्षा में पर्यावरण को स्थान क्यों मिला। पाठ्यचर्या में जगह मिलने से विधार्थियों के जीवन में इसको जगह मिलेगी और वे संवेदन शील बनेंगे।

इस अवसर पर वरिष्ठ शिक्षा विद् श्रीमती अर्चना जोशी, अभिजीत गंगोला, अमन, सत्यप्रिय, गौरव गोस्वामी, विवेक कुमार, चारु चन्द्र आदि उपस्थित थे।