“योग करे हम योग करे दूर सभी हम रोग करे” आंचल तिवारी की स्वरचित कविता

योग करे हम योग करे दूर सभी हम रोग करे 

योग करें हम योग करें

दूर सभी हम रोग करें।

 

योग से मन स्वच्छ हो 

योग से तन स्वस्थ हो 

योग पर ना धन खर्च हो 

योग करें हम योग करें

 

 ना आयेगा बुखार, ना होगा कभी जुकाम।

शरीर को सम्पूर्ण मिलेगी ऑक्सीजन।

दिल और दिमाग से आप बनोगे सज्जन

चुस्ती फुर्ती वह दिखलाए

आलास उसके पास न आए,

तन मन रहता सदा ही स्वस्थ

लगे कभी न कोई रोग।

नित्य जो करता मानव योग।

 

पूरे मन से करे जो ध्यान

पाता है वही सच्चा ज्ञान

जीवन सुखमय बन जाता है

नित्य जो करता मानव योग।

 

इसमें न कोई खर्चा, न कोई और दिखावा है, स्वस्थ रहें हम कैसे, बस इसका ही बढ़ावा है। 

लेकर चटाई हम सब, धरती पर बैठ जायें, आओ हम सब मिलकर, योग दिवस मनायें।

 

संदेश यही फैलाओ

इसको सारे लोग करें,

वरदान मिला जो हमको

हम उसका उपयोग करें।

 

योग करें हम योग करें

दूर सभी हम रोग करें।

आंचल तिवारी