IIT से शोध प्रशिक्षुता के बाद प्रो. डॉ. वाय चंद्रा के निर्देशन में मंजुलेश्वर पंडा का खगोल विज्ञान पर समिक्षा आलेख अमेरिका के प्रतिष्ठित सर्वर में हुआ प्रकाशित

 

आई आई टी से शोध प्रशिक्षुता के बाद अब मंजुलेश्वर पंडा का “ब्रह्मांड के रहस्यों का अनावरण: रेडियो खगोल विज्ञान और इसकी गहन अंतर्दृष्टि का एक सिंहावलोकन” विषय पर समिक्षा आलेख उनके थीसिस एडवाइजर डॉ वाय चंद्रा के निर्देशन में अमेरिका के प्रतिष्ठित आइवी लीग सी. यू. सर्वर में प्रकाशित हुआ है। इसके साथ ही इन्होंने इसी वर्ष भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से “अंतरिक्ष विज्ञान का अवलोकन” नामक अनुसंधान परियोजना पर सफलतापूर्वक प्रशिक्षण भी प्राप्त कर लिया है। इससे पहले वह इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी इंदौर के डिपार्टमेंट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स, एस्ट्रोनॉमी एंड स्पेस इंजीनियरिंग (दासे) से एस्ट्रोफिजिक्स ब्रांच में “राडार पोलरिमेट्री एंड इंटेरफेरोमेट्री” विषय पर 8 – सप्ताह तक शोध प्रशिक्षु (रिमोट) के तौर पर प्रो. डॉ यू. जी. के निर्देशन में काम करने के पश्चात सफलतापूर्वक शोध प्रशिक्षुता हासिल कर चुके हैं। इस रिसर्च प्रोजेक्ट में उन्होंने एक सक्रिय सिंथेटिक एपर्चर रडार में पोलारिमेट्री और इंटरफेरोमेट्री तकनीक, ईएम वेव पोलराइजेशन, पोलसार विश्लेषण, अंतरिक्ष जनित सेंसर का अवलोकन (सीसैट: नासा / जेपीएल, शटल स्थलाकृतिक मिशन, ईआरएस -2: यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी), और पोलसर प्रो पर काम किया।

इस समीक्षा आलेख में इन्होंने रेडियो एस्ट्रोनॉमी पर एक विस्तृत अवलोकन किया है जिसके अंतर्गत रेडियो एस्ट्रोनॉमी की मूल अवधारणा, रेडियो टेलीस्कोप तकनीक, रेडियो एस्ट्रोनॉमी पर्यवेक्षण, ब्रह्मांडीय माइक्रोवेव पृष्ठभूमि, गैलेक्टिक और एक्स्ट्रागैलेक्टिक रेडियो खगोल विज्ञान, क्षणिक रेडियो खगोल विज्ञान एवम अन्य संबंधित विषयों पर विश्लेषणात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। इसके अतिरिक्त वह आई आई टी कानपुर से “क्लासिकल विद्युत चुंबकत्व”, हेर्टी डाटा साइंस स्कूल जर्मनी से “प्रोग्रामिंग आर, लीनियर अलजेब्रा फॉर डाटा साइंस, कैल्कुलस फॉर डाटा साइंस, स्टेटिस्टिक्स एंड प्रोबेबिलिटी फॉर डाटा साइंस, जेनरेटिव ए आई, डीप लर्निंग फॉर मल्टी मॉडल सिस्टम”, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान से “मौसम और जलवायु अध्ययन में उपग्रह मौसम विज्ञान अनुप्रयोग” (अपेक्षित), “ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) का अवलोकन”, “मशीन लर्निंग से डीप लर्निंग – रिमोट सेंसिंग डेटा वर्गीकरण और पहचान की एक यात्रा”, “चन्द्रमा और मंगल ग्रहों की खोज: भारतीय सुदूर संवेदन मिशन से निष्कर्ष”, एवम “जियो कंप्यूटेशन और जियो वेबसर्विसेज की मूल अवधारणा” विषयों पर आधारित अनुसंधान पाठ्यक्रमों में सफलतापुर्वक प्रमाणपत्र हासिल कर चुके हैं। 

उनकी इस उपलब्धि पर उनके थीसिस एडवाइजर एवम भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर डॉ वाय चंद्रा, पूर्व रिसर्च सुपरवाइजर प्रोफेसर डॉ यू जी (नासा/जे.पी. एल. में पूर्व पोस्टडॉक्टरल फेलो), प्रोफ़ेसर डॉ आदर्श चौधरी, असिस्टेंट प्रोफेसर लक्ष्मण देव, बड़े पिता डॉ बालादत्त पंडा, परिवारजन, एवम सभी गुरुजनों ने प्रसन्नता जाहिर कर उनके अवश्यंभावी उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।