योग विज्ञान विभाग, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा द्वारा ‘वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियाँ एवं योग” विषय पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि चंपावत परिसर के नोडल अधिकारी एवं योग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ नवीन चन्द्र भट्ट, मुख्य वक्ता डॉ विनोद नौटियाल, सहायक प्राध्यापक, हेमवती नन्दन बहुगुणा, केंद्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर गढ़वाल विश्वविद्यालय, रजनी नौटियाल, सहायक प्राध्यापक, हेमवती नन्दन बहुगुणा, केंद्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर गढ़वाल विश्वविद्यालय एवं योग विभाग के शिक्षक लल्लन सिंह, गिरीश अधिकारी, रजनीश जोशी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ किया।
इसके पश्चात योग विज्ञान विभाग की छात्राओं द्वारा वंदना एवं स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया।
इसके पश्चात वैकल्पिक चिकित्सा पद्धितियों पर प्रकाश डालते हुए सर्वप्रथम योग विभाग के प्रशिक्षक गिरीश अधिकारी ने अपने संबोधन में कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा आधुनिक जीवनशैली में महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें उपचार में प्राकृतिक तत्वों का प्रयोग होता है, जो सामान्य रूप से साइड इफेक्ट्स नहीं करते हैं और सेहत को सुधारने में मदद करते हैं। यह आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक औषधियों और आहार के साथ संगत होती है, जिससे लंबे समय तक स्वस्थ और सक्रिय जीवन जीने में मदद मिलती है। योग विभाग के शिक्षक लल्लन सिंह ने एक्यूप्रेशर चिकित्सा के विषय में बताते हुए कहा कि एक्यूप्रेशर आधुनिक जीवनशैली में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है, जो हृदय रोग और अन्य संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा कम करता है। यह स्वस्थ जीवनशैली को बनाए रखने में मदद करता है।
रजनीश जोशी ने कहा कि पंचकर्म चिकित्सा आधुनिक समय में भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आयुर्वेदिक चिकित्सा का एक प्रमुख अंग है जो शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य को संतुलित रखने में मदद करता है। यह प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, शारीरिक और मानसिक तनाव को कम करता है और विभिन्न रोगों के इलाज में सहायक होता है। पंचकर्म चिकित्सा निरोगी और सकारात्मक जीवनशैली को प्रोत्साहित करती है और समय के साथ इसका उपयोग बढ़ रहा है। कार्यशाला के मुख्य वक्ता डॉ रजनी नौटियाल ने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा में पाँच मौलिक तत्व हैं – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश। इन तत्वों का संतुलन हमारे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। इन तत्वों के संतुलन के द्वारा विभिन्न रोगों का इलाज किया जाता है। पृथ्वी तत्व से सम्बंधित चिकित्सा विवेक, स्थिरता और धारणा की ओर मुख्य ध्यान देती है। जल का तत्व चिकित्सा में आत्म-प्रेम, शान्ति और संबल को प्रोत्साहित करता है। अग्नि तत्व ऊर्जा, उत्तेजना और तपस्या को बढ़ाता है और अग्नि की बलि द्वारा शारीरिक और मानसिक दोषों का संतुलन किया जाता है। वायु तत्व चिकित्सा में प्राण, स्वतंत्रता और गतिशीलता को बढ़ाता है। आकाश तत्व चिकित्सा में आद्यात्मिक संवेदना, स्वतंत्रता और सामर्थ्य को बढ़ाता है। इन पंचतत्वों के संतुलन को बनाए रखने से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को संतुलित रखा जा सकता है और विभिन्न रोगों का इलाज किया जा सकता है। मुख्य वक्ता डॉ नौटियाल ने कहा कि
महत्त्व तत्व (मह तत्व) चिकित्सा एक आधुनिक चिकित्सा प्रणाली है जो मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को संतुलित रखने का ध्यान देती है। इसका मुख्य लक्ष्य व्यक्ति की स्वास्थ्य के संपूर्णता को बढ़ाना है, न केवल शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर भी। महत्त्व तत्व चिकित्सा में मन की शक्ति, सकारात्मक सोच, प्रार्थना, ध्यान और योग को उपयोग किया जाता है, जो रोगों के इलाज में सहायक होता है और स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है। यह चिकित्सा प्रणाली व्यक्ति को संतुलित और खुशहाल जीवन जीने में मदद करती है और समाज में उत्तम संबंधों को बनाए रखने में सहायक होती है। अंत में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ नवीन भट्ट ने कहा कि योग एवं वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति विश्व की सबसे प्राचीन, कम खर्चीली एवं सहज चिकित्सा पद्धति है। इसके माध्यम से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को संतुलित और उत्तम बनाया जा सकता है। योग साधना में आसन, प्राणायाम, षट्कर्म, मुद्रा, बंध, ध्यान, मंत्र एवं हास्य चिकित्सा का उपयोग किया जाता है जो शारीरिक और मानसिक तनाव को कम करते हैं, मानसिक स्थिति को सुधारते हैं और आत्मा को जानने में मदद करते हैं। योग चिकित्सा आमतौर पर अन्य चिकित्सा पद्धतियों के साथ संयुक्त रूप से उपयोग की जाती है और स्वस्थ जीवनशैली को प्रोत्साहित करती है। यह विशेष रूप से तनाव, अस्थिरता और अवसाद जैसी समस्याओं का समाधान करने में मदद कर सकती है। कार्यक्रम का संचालन रजनीश जोशी ने किया।
इस अवसर पर अंकित सिंह, बेबी कौर, चंदा नेगी, चेतना लटवाल, गीतांशी तिवारी, कविता, खुशबू तिवारी, ललिता, मुकेश चंद्रा, प्रदीप कुमार, प्रमोद सिंह, संगीता खनी, शोभा, अनिल कुमार, दीपक सिंह, कमल, प्राशू भैसोरा, सूरज सिंह, विवेक सिंह, कुनाल, दीपा भट्ट, दीपा जोशी, गरिमा फर्त्याल, अजय बाफिला, हिमानी पांडे, संगीता जेठी, तारा, जोशी, दीपक कुमार, विनीता आर्या, पवन कुमार, सुरेश चंद्र, राजपूत आस्था, आरती, अजय चंद्र पांडे, पूजा मटियानी, सरिता मेहरा, विकास जोशी आदि उपस्थित रहे।