एक कलयुगी इंसान,
बीच पूजा के दौरान,
बोला परमेश्वर भगवान,
ये कैसा कलियुग का विधान?
ये धर्म का कैसा विस्तार,
हो रहे हैं दो-दो त्यौहार।
दो होली, रक्षाबंधन,दीवाली,
कैसे होगी धर्म की रखवाली।
तभी बोले करुणानिधान,
सुनो ध्यान से श्रीमान।
राममंदिर से हो एक निर्देश,
इसी दिन मनेगा पर्व विशेष।
सबको एकमत से स्वीकार हो,
चाहे कोई भी उत्सव त्यौहार हो।
फिर व्यर्थ चर्चा के उद्योग कम कर दो,
एंड्राइड मोबाइल का प्रयोग कम कर दो।
“मनी नमन”