“आजादी ” – मोटिवेशनल स्पीकर मनोज भट्ट की स्वरचित कविता

हम आजाद तो हो गए है, अंग्रेजो की गुलामी से। 

हम आजाद तो हो गए है, उन जकडी गयी बेड़ियों से। 

पर आजादी अभी पूरी नहीं मिली है दरअसल,  

अभी भी आजाद होना है तो,

अपनी बुरी सोच से, जातिवाद और ऊँच नीच, धर्म अधर्म से।  

आजादी सिर्फ आजाद मुल्क का नाम नहीं

असल आजादी तो वो है जब हर कोई खुद को सुरक्षित महसूस करे,

 ध्यान हो तो बस एक सुनहरे भविष्य का

चाह हो तो खुद की और दूसरों की खुशियों का। 

आजाद हों, खुद की उस सोच से जो हमे आगे नहीं बड़ने देती 

आजाद हों, उस निराशा से जो हमारी उम्मीद खत्म कर देती

आजाद हों, उस फ़िक्र से जो हमारी ऊर्जा छीन देती

आजाद हों, उन सब नकारात्मक सोच से जो हमे आजाद नहीं होने देती।