डॉ.ललित योगी की पंक्तियां

डॉ.ललित योगी की पंक्तियां

✍️ साधु
न तो साधु ही किसी का हो सकता है!
और न ही नदी किसी के लिए थम सकती है।
✍️ अदब
अदब से! शीश झुकाकर चलना सीखो।
चेहरे पर अपने मुस्कान सजाना सीखो।।
✍️ हिय
हिय की बातों को हिय में दबाए रखता हूँ।
निःठुर हूँ,खुद को, खुद से छुपाए रखता हूँ।।
✍️ सीखो
संघर्षों को ढाल बनाकर,चलना सीखो।
खुद को मजबूत बनाकर,बढ़ना सीखो।
✍️ मैंने
मैंने अब चुप रहना सीख लिया
गम का घूंट पीना सीख लिया।
✍️ कभी-कभी
जिंदगी है-गमों की किताब
आंखों से सूखते हुए आँसू
होठों पर रूखापन
न स्वप्न,न कोई अरमान
न रिश्ते ही और न नाते
बड़ी बोझिल सी हो जाती है
जिंदगी क़भी-कभी!
✍️ वीर
है जुनून मर-मिटने का वतन के खातिर,
वीर खून से अपनी सींचते हैं यूं ही धरा।

✍️ जान
जिंदगी उनके लिए जियो
जो जान देते हैं।
उनके लिए बिल्कुल भी नहीं!
जो जान लेते हैं।।
✍️ छाले
कभी देखा है तुमने?
गरीबों के पांव के छालों को?
रईस लोगों ने तो,
ऊंची अट्टालिकाएं देखी हैं।।
✍️ प्यार हो गया
लब हिले,धीरे से मेरे,
और इजहार हो गया।
दिल न खुद का ही रहा,
और प्यार हो गया।।
✍️ रिश्ते
बेशक!रुपयों से चलती है दुनिया,
पर दिल के रिश्ते बनते नहीं।
मिलते हैं पथ पर हजारों अपने
वो दिल का रिश्ता निभाते नहीं।।

✍️हँसते हुए चेहरे में छुपे हुए होते हैं गम।

✍️ जाने से
जिंदगी हुई है परेशान,
किसी के चले जाने से।
हो गए मुफ्त के बदनाम।
किसी के चले जाने से।।
©डॉ ललित योगी