कुछ माह पूर्व ही पहाड़ एक्सप्रेस के संरक्षक डॉ0 ललित जोशी “योगी” ने जताई थी पेड़ के बूढ़े होने की आशंका

*(डॉ0 ललित जोशी “योगी”)*
*आज देवदाररूपी शिव समाधिस्थ हो गए और बोगनवेलिया ने खुद को समर्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।*
कुछ माह पूर्व मैंने अल्मोड़ा बुक डिपो के पास अल्मोड़ा की सुंदरता में चार चांद लगाने वाले बोगनवेलिया के पुष्प और साधनारूपी देवदार के संबंध में अपना संस्मरण लिखा था। वह अब इसके ढह जाने से संस्मरण ही रह गया। सहस्त्रों छायाचित्र सहस्त्रों संस्मरण इससे जुड़ गए हैं। वहीं इतिहास के पुरुष गोविंद बल्लभ पंत जी का पार्क भी इस अटूट जोड़ी को स्मृतियों में लेकर मौन हैं। आलेख में यह लिखा था कि वन विभाग को एक देवदार के वृक्ष लगा देना चाहिए, क्योंकि जिससे लिपट कर बोगेनवेलिया अल्मोड़ा के सौंदर्य को बढ़ा रही है, वह देवदार वृद्ध हो गए हैं। पूर्व नें लिखा हुआ आलेख कुछ इस तरह था:
*अल्मोड़ा में आपका #स्वागत करता हुआ बोगेनविलिया*
✍ *बोगेनविलिया (Bougainvillea) पौंधे से आप परिचित होंगे ही। यदि नहीं भी होंगे तो एक बार इस मौसम में अल्मोड़ा की तरह आ जाइये।* आपको दूर से अल्मोड़ा की तरफ झांकने की कोशिश भी करेंगे तो सबसे पहले इस पौधे के दर्शन हो जाएंगे। आप समझ लेना कि यह वही पौधा है,जिसके बारे में, मैं कह रहा हूँ।
✍ *योग साधना में बैठे हुए शिव रूपी देवदार के वृक्ष की शाखाओं में लिपटा हुआ यह पुष्प नगर में आने वाले राहगीरों, पर्यटकों, घुमक्कड़ों के स्वागत में वर्षों से अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है और अटल खड़ा हुआ है।* देवदार वृक्ष ने इस पुष्प को ना टूटने वाला साथ अभी तक दिया है। देवदार और इस पौधे की शानदार जोड़ी मिलकर लोगों को यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि आपके किसी से *’मतभेद जरूर हो,लेकिन मनभेद नहीं रखना।’* इस वृक्ष के नीचे कुशल *राजनीतिज्ञ गोबिंद बल्लभ पंत जी की प्रतिमा भी लगी है, जो इसे लंबे समय तक यूँ ही बचाने की जैसे बात कर रहे हों। अल्मोड़ा बुक #डिपो और हैड पोस्ट #ऑफिस के बीच स्थित किलकारी भरता हुआ यह पेड़ (पौधा), देवदार वृक्ष, पंत जी के स्टेचू का दृश्य मुझे अप्रतिम लगता है।*
✍मैं छात्र जीवन से इसको निहारता आ रहा हूँ। *यही कहूंगा कि अल्मोड़ा की शान है यह। इस वृक्ष की जड़ों में बैठकर यह अनुभव करता हूँ कि शिवरूपी साधना में लीन देवदार वृक्ष; इस पौंधे को अपनी बढ़ती उम्र में भी अब तक अपने कांधे में झुलाए हुए है, जैसे कोई बुजुर्ग अपने नातिन और नातियों को कांधे में।* आखिर यह गठजोड़ कब तक रहेगा? यह कह नहीं पाऊंगा, क्योंकि देवदार के वृक्ष के सूख जाने पर यह भी एक दिन नष्ट हो जाएगा। इसलिए *वन और कृषि विभाग आदि को इसके पास एक देवदार पौंधे का वृक्ष उगा देना चाहिए, जिससे अल्मोड़ा की शान; यह पौधा सदैव खिलता, खिलखिलाता और चहकता रहे।*
✍इस पौंधे के पुष्प की चमक स्पार्क की तरह है, जो अल्मोड़ा के वातावरण को चार चांद लगाता है। *पश्चिमी ब्राजील से साउथ अमेरिका तक और पेरू से दक्षिणी अर्जेंटीना तक इस #बोगेनविलिया (Bougainvillea) पौधे की करीबी प्रजाति मिलती हैं। विद्वान इसकी 18 प्रजाति और होने की बात भी अपने अध्ययनों में कहते हैं।*
✍इस *पौंधे के प्रतिरूप को यदि अल्मोड़ा के प्रवेश और अन्य जिलों को जोड़ने वाले स्थानों के आस-पास लगा दिया जाए तो यह आकर्षण से कम नहीं होगा। वन और कृषि विभाग इस तरह कुछ कार्य करे तो मुझे अच्छा लगेगा।*
इस आलेख और इन वृक्षों की स्मृतियों के बहाने हमें सौंदर्य को संहजने की आवश्यकता है। अन्यथा जीवन से महत्त्वपूर्ण चीजें ऐसे ही ढह जाएंगी। यह अटूट जोड़ी भी अतीत हो गयी। *इनके प्रेम को देखकर कुछ अनुभव कर रहा हूँ:*
१.ऐसे देवदार और बोगनवेलिया बनें, जो चले जाने के बाद भी सभी के दिलों में जिंदा रहो।
2. अटूट प्रेम ऐसा हो कि जिसमें एक दूसरे के प्रति समर्पण भाव निहित हो। असीम भावना व्याप्त हो।
3.ऐसे विशाल व्यक्तित्व और छांव बनिये, जिसके छांव में लोग कुछ समय वक्त गुजारना चाहें, कुछ बातें करना चाहें, कुछ इतिहास रचना चाहें।
4.बोगनवेलिया बनें, जो अपनी चमक से अपने आस-पास के सौंदर्य को बढ़ा दे और उसके चले जाने से एक टीस रह जाये, एक खालीपन रह जाये।
5. इन वृक्षों की तरह एक दूसरे का सहारा बनिए, एक दूसरे को खाद दीजिये, एक दूसरे को पोषित करें।
6. ऐसे बुजुर्ग वृक्ष से यह भी सीख लेनी चाहिए कि वृद्ध अपने जीवन के अंतिम क्षणों में भी युवा पीढ़ी को सहारा देते हैं।
7. ऐसे विशाल वृक्ष बनिए, जिसकी छांव में असंख्य कीट-पतंगे, पंछी अपना आश्रय ढूंढे और बनाएं। यहां तक कि मानव भी छांव ले सके।
8. बोगनविलिया की तरहऐसे खिलें कि उससे आस-पास की शोभा भी बढ़ जाये।
9. छायादार वृक्षों के साथ सिर्फ छायाचित्र नहीं! उनका अनुभव भी कैद हो।
इन दोनों वृक्ष और लताओं से यह सीख लेने की जरूरत है। बहरहाल अल्मोड़ा में यह साधना में लीन साधक और साधिका समाधिस्थ हो गए। इस पार्क और इस अल्मोड़ा की रौनक फीकी हो गई। वन विभाग, नगर प्रशासन को चाहिए कि इस स्थान पर एक देवदारु वृक्ष और एक बोगनविलिया के पौध का रोपण करें।
*डॉ. ललित योगी*

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