बेरोजगारी पर खुशनुमा परवीन की स्वरचित कविता

बेरोजगारी ने सब‌का किया बुरा हाल,  ‌बेरोजगारी ने सब‌का किया बुरा हाल,

भारत के लोग सभी है परेशान,

हाथ में डिग्री नौकरी नहीं क्या यही है हमारा हिन्दुस्तान??

बेरोजगारी ने सब‌का किया बुरा हाल,

मासुम जनता को रोजगार नहीं,

बेरोजगारी में आया बढ़ावा है,

नेता लोग बस भाषण देते करके इन्होंने कुछ नहीं दिखाना है।

बेरोजगारी ने सब‌का किया बुरा हाल,

देश में रोजगार नहीं अब जनता कहां जाएं,

सरकार का कर्तव्य बनता है कि लोगों को रोजगार दिलाएं,

बेरोजगारी ने सब‌का किया बुरा हाल,

भारत को विकासशील देश बनाना है तो,

 बेरोजगारी को दूर भगाना होगा,

गरीबी को जड़ से मिटाना होगा,

हर एक व्यक्ति को रोजगार दिलाना होगा,

तब‌ एक विकासशील देश का होगा निर्माण।

बेरोजगारी ने सब‌का किया बुरा हाल, बेरोजगारी ने सब‌का किया बुरा हाल

– खुशनुमा परवीन