‘उड़ने दो हमें की ये खुला आकाश हमारा है ‘- गुंजन तिवारी की कविता

उड़ने दो हमे कि, ये खुला आकाश हमारा है।
कोई न रोके हमे कि,ये मौका फिर कहा मिलने वाला है
यूं आजाद कर दे खुद को परिंदो की तरह,
कि उड़ते रहे खुले आकाश में जहाज की तरह।
तोड़ दे वो सारी खामोशियां
जो सीने में दफ़न हैं।
ले एक खुली सांस ऐसी,
जो पूरे जीवन मे रोशनी भर दे।
तोड़ दे वो सारी हदें,
जो अबतक बांधे हुए हैं।
यूं बंधकर हम कबतक जी पाएंगे ?
खोलकर अपनी खामोशियों के सारे दरवाज़े,
आओ उड़ चले इस खुले आकाश में ।
आओ उड़ चले इस खुले आकाश में।
कि उड़ने दो हमे ये खुला आकाश
हमारा है।
गुंजन तिवारी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *