राजकीय पॉलीटेक्निक कॉलेज नैनीताल के छात्र राकेश उप्रेती की स्वरचित कविता – “मेरी प्यारी बहना”

बहन भी दोस्त भी तुम,

तुम बेशक दूर हो हमसे,
माना बाते नही होती हमारी,
दिन गुजर जाते है,
कभी महीने बीत जाते है,
तुमसे बाते किए कई राते बीत जाती है,

तुम मेरे दिल के गुलिस्तां का वो फूल हो,
जो कभी मुझसे ही खफा होकर ,
मुझसे ही रूठ जाता है,
जो कभी मेरे उदास मन को पढ़,
खुद की उदासी भी भूल जाता है,

तुम अक्सर मुझको मैसेज करना भूल जाते हो,
तुम फिर भी मुझको बिना, सुने मेरी हर बात समझ जाते हो,
तुम मेरी बहन ही नही मेरी दोस्त हो,
जो मेरे दिल के हर राज जानती हो,
खुद को तुम सबके सामने हँसता हुआ दिखाती हो,
मुझसे छिपाकर भी भावनाएं अपनी छिपा नहीं पाती हो,
तुम खुद परेशान होकर भी मेरी परेशानी बाँटती हो ,
तुमसे मिलकर तुम्हारे संग एक दफा दिल खोलकर लड़ना है,
वैसे तो कभी हमारी लड़ाई नहीं होती,
मगर एक बार तुम्हारी चोटी खीच तुमको समझाना है,
तुम मेरी सबसे अनोखी सबसे न्यारी, मेरी प्यारी बहना हो

राकेश उप्रेती