अल्मोड़ा मनोरंजन साहित्य “वक़्त” – विक्की आर्य की कविता rahul joshi July 29, 2020 No Comments “वक़्त” अब सपने ही मेरे टूट गये ।। सब अपने ही मेरे छुट गये ।। कोन समझा पायेगा इश्क़ की आदत उनको ।। वो समझ गये । की हम टूट गये।। अब सब सपने ही मेरे टूट गये।। अब सब अपने ही मेरे टूट गये।। विक्की आर्य