हरेला पर्व पर युवा कवि मनोज भट्ट की स्वरचित कविता

फिर बदला हैं ये मौसम,,
छाई हैं सावन की बहार,,
खुशियां संग लेकर आया,,
हरेले का त्यौहार।
वृक्ष लगाने की सीख ये देता,,
पकवानों से महकता ये घर-संसार,,
हरियाली संग लेकर ,,
आया हरेले का त्यौहार।
वर्षा की बूंदों से धरा में एक नई उमंग आई हैं,,
हर ओर उत्सव सा हैं,, धरा में
हरियाली भी छाई हैं,,
हर किसी के जीवन में खुशियां आए अपार,,
नई उमंग संग लिए आया हैं,, हरेले का त्यौहार।।
इस खुशी के लम्हे में,, हमसब भी आगे आते हैं,,
संरक्षण भी करेंगे उसका ,, इस प्रण के संग एक वृक्ष लगाते हैं।।
– मनोज भट्ट